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इंदौर में मार्च में शुरु हो रहा है स्लज हाइिजनाइजेशन प्लांट, जानिए कैसे काम करता है यह प्लांट?

भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (बार्क) की मदद से स्मार्ट सिटी इंदौर सीवरेज के वेस्ट स्लज से न सिर्फ खाद बनाएगा, बल्कि उसे बेचकर पैसा भी कमाएगा। इसके लिए रेडियोएक्टिव तत्व कोबाल्ट-60 की मदद से स्लज के बैक्टीरिया को खत्म कर खाद तैयार की जाएगी। इसके लिए कबीटखेड़ी में प्लांट का सिविल वर्क पूरा हो गया। मार्च में यहां ऑपरेशन शुरू हो जाएगा।

अहमदाबाद स्लज हाइजिनाइजेशन पर काम करने वाला देश का पहला शहर है, लेकिन वहां स्लज को सिर्फ ट्रीट किया जाता है ताकि वह हानिकारक न रहे। इंदौर उससे एक कदम आगे निकलते हुए स्लज को न सिर्फ ट्रीट करेगा बल्कि उसे बायोफर्टिलाइजर में भी बदलेगा। फिर उसे बेचकर पैसा कमाएगा। यह वेस्ट टू वेल्थ का सबसे उन्नत उदाहरण होगा।

ड्रेनेज का पानी ट्रीट होने के बाद उसका तो रीयूज हो जाता है लेकिन स्लज बच जाता है। इसमें हानिकारक बैक्टीरिया होते हैं, जिन्हें मारने के सिर्फ दो तरीके हैं। पहला- उसे गर्म किया जाए ताकि सारे बैक्टीरिया नष्ट हो जाएं। दूसरा तरीका- रेडियोएक्टिव तत्व कोबाल्ट-60, इससे स्लज के सारे बैक्टीरिया मर जाते हैं।

स्लज में माइक्रो और मेक्रो न्यूट्रिएंट्स सबसे ज्यादा होते हैं, जिनसे बेहतर खाद बन सकती है। भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (बार्क) ने रेडियो एक्टिव तत्व कोबाल्ट 60 से गामा किरणों के जरिए स्लज को हाइजनिक बनाने का तरीका ढूंढा है। बार्क और इंदौर निगम ने इस प्रोसेस को पूरा करने के लिए एमओयू साइन किया था।

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