होली रंगों का त्यौहार है और हर जगह बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन होली का पर्व मनाया जाता है। लेकिन कुछ जगहों पर होली अलग और अनोखे तरीके से सेलिब्रेट की जाती है, जो की विश्व प्रसिद्द है। जानते है भारत की उन जगहों के बारे में जहां का होली उत्सव देखने दूर-दूर से लोग आते है।
याओसांग महोत्सव (मणिपुर)
मणिपुर में होली पर याओसांग महोत्सव मनाया जाता है। यह त्यौहार 5 दिन तक मनाया जाता है। इन 5 दिनों में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम होते है और बोनफायर जलाया जाता है। यहां के स्थानीय लोगों के द्वारा एक झोपडी बनाई जाती है और पूजन के बाद इस झोपडी को होली के आलाव की तरह जला दिया जाता है। दूसरे दिन मंदिरों में नाच-गाने का आयोजन किया जाता है। इसके बाद पानी और रंगों वाली होली खेली जाती है।
शिगमोत्सव (गोवा)
शिग्मो या शिगमोत्सव भारत के गोवा राज्य में मनाया जाने वाला एक त्योहार है और वहां के लोग इसे बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। यह होली से मिलता-जुलता फेस्टिवल है। इसे दो हफ्तों तक मनाया जाता है। देवी-देवताओं की पूजा करने के बाद जुलूस और झांकियां निकाली जाती हैं तथा रंग-गुलाल खेला जाता है। इस तरह इसमें फागोत्सव और होली दोनों का समावेश होता है।
होला-मोहल्ला (पंजाब)
पंजाब में होला मोहल्ला नाम का त्योहार बहुत प्रचलित है। दूर-दूर से इसे देखने के लिए लोग आते हैं। बता दें, होला मोहल्ला का आयोजन पंजाब के आनंदपुर साहिब में हर साल किया जाता है। ये त्योहार पारंपरिक होली से अलग इसलिए है, क्योंकि यहां रंगों से नहीं, बल्कि तलवारबाजी, घुड़सवारी और मार्शल आर्ट का प्रदर्शन कर यह त्योहार मनाया जाता है। सिर्फ यही नहीं, इस कार्यक्रम के बाद जगह-जगह विशाल लंगर लगाए जाते हैं।
दोल जात्रा (पश्चिम बंगाल)
दोल जात्रा या दोल पूर्णिमा पश्चिम बंगाल में होली से एक दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं राधा-कृष्ण की पूजा करती हैं और प्रभात फेरी (सुबह निकलने वाला जुलूस) का आयोजन करती हैं। इसमें बाजे-गाजे के साथ कीर्तन और गीत गाए जाते हैं। बंगला में ‘दोल’ शब्द का अर्थ झूला होता है। झूले पर राधा-कृष्ण की मूर्ति रखकर भक्ति गीत गाए जाते हैं और उनकी पूजा की जाती है। अगले दिन अबीर गुलाल और रंगों से होली खेली जाती है।
राजवाड़ा शाही होली (उदयपुर)
होली के एक दिन पहले शाम के समय राजस्थान के उदयपुर में खास आयोजन होते हैं, जिसे रजवाड़ा शाही होली कहा जाता है। इसके नाम के अनुसार यह होली शाही अंदाज में मनाई जाती है। सिटी पैलेस में शाही निवास से मानेक चौक तक शाही जुलूस निकाला जाता है। इस जुलूस में घोड़े, हाथी से लेकर रॉयल बैंड शामिल होता है। उदयपुर की होली की धूम देखने कई लोग यहां आते हैं और होली के त्योहार का आनंद लेते हैं। वहीं विदेशी पर्यटक भी सिटी पैलेस की होली में शामिल होने के लिए पहुंचते हैं।
बैठकी होली-खड़ी होली-महिला होली (उत्तराखंड)
उत्तराखंड की खड़ी होली रंग वाली होली के कुछ दिन पहले ही शुरू हो जाती है। जिसमे गांव के पुरुष और बच्चे टोली, पारम्परिक वेश-भूषा में घर-घर जाकर उत्तराखंडी लोकगीत गाते है। पहाड़ी ढोल दमौं के साथ होली के गीतों से पूरा माहोल संगीतमय हो जाता है। बैठकी होली बसंत पंचमी वाले दिन से शुरू हो जाती है। यह होली एक जगह बैठ कर मनाई जाती है। इसमें बैठ कर महिलाओं एवं पुरुषो द्वारा होली गायन होता है। जिसमें ढोलक, मंजरी, चिमटा इसमें प्रमुख वाद्य यंत्र होते है। बैठकी होली की तरह ही महिला होली भी होती है। कीर्तन भजन के जैसे ही, बहुत सारी महिलाएं एक जगह बैठकर होली पर्व का लोकगायन करती है। जो की होली के दिन तक जारी रहता है।
लट्ठमार होली (उत्तर प्रदेश)
उत्तर प्रदेश की लट्ठमार होली विश्व प्रसिद्ध है। परंपरा के अनुसार इस दिन पुरुष राधा रानी के मंदिर पर झंडा फहराने की कोशिश करते है। तब महिलाएं एकजुट होकर उन्हें लट्ठ मारकर भगाने की कोशिश करती है। होली का यह पर्व प्रेम के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। राधारानी के गांव बरसाना और कान्हा के गांव नंदगांव के ग्वाला लट्ठमार होली खेलते हैं।
अगर आपको IndoreHD आर्टिकल में शेयर की गई जानकारी पसंद आए या आपको लगे की ये जानकारी आपके लिए मददगार है तो सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों और अन्य परिचित लोगों के साथ शेयर जरूर करें।