More

    जानिए एशिया के सबसे बड़े CNG प्लांट में कैसे बनेगी गीले कचरे से गैस

    भारत के सबसे स्वच्छ शहर में स्वच्छता का छक्का लगाने की तैयारी हो चुकी है। वेस्ट-टू-वेल्थ का शानदार उदाहरण शहर का बायो सीएनजी प्लांट जो की एशिया में सबसे बड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को एशिया के सबसे बड़े प्लांट का वर्चुअल उद्घाटन किया। जानिए बायो सीएनजी प्लांट के कुछ तथ्य और कचरे से गैस बनने की पूरी प्रक्रिया।

    1. यह प्लांट जीरो इनर्ट मॉडल पर आधारित है, जहां किसी प्रकार का अनुपचारित वेस्ट नहीं निकलेगा।
    2. 15 एकड़ के क्षेत्र में 150 करोड़ की लागत से बनाया गया।
    3. दिल्ली की आईआईएसएल (IEISL) कंपनी नगर निगम को प्रतिवर्ष 2.50 करोड़ रुपये प्रीमियम के रूप में देगी।
    4. प्रतिदिन 550 मीट्रिक टन गीले कचरे को प्रोसेस किया जाएगा।
    5. 17500 किलोग्राम बायो सीएनजी तथा 100 टन उच्च गुणवत्ता की आर्गेनिक कम्पोस्ट का उत्पादन होगा।
    6. उत्पादित 50 प्रतिशत गैस से बसों का संचालन किया जाएगा।
    7. शेष 50 प्रतिशत गैस विभिन्न उद्योग एवं वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को बेची जाएगी।
    8. प्लांट के संचालन से कार्बन क्रेडिट अर्जित कर आठ करोड़ रुपये की राशि प्राप्त होगी।
    9. कोरोना की चुनौतियों के बावजूद ये संयंत्र 15 महीने में बनकर तैयार हो गया।

    बायो सीएनजी प्लांट में गीले कचरे से गैस बनने की प्रक्रिया –

    1. घरों से निकला हुआ गीला कचरा गाड़ियों से कचरा ट्रांसफर स्टेशन और वहां से ट्रेचिंग ग्राउंड स्थित CNG प्लांट पहुंचेगा।
    2. गीले कचरे को ग्रैब क्रेन की मदद से हॉपर, हैमर मिल और टॉमेल के जरिए प्रोसेस किया जाएगा। 120 एमएम से काम गीले कचरे को कन्वेयर बेल्ट से सेपरेशन हैमर मिल में भेजेंगे। गीले कचरे से गैस बनने की प्रक्रिया यही से शुरू होगी। स्वचालित यह मशीन कचरे से स्लज बना देगी।
    3. हैमर मिल से निकले स्लज को ह्यड्रोलिसीस टैंक में अपघटन के लिए रिसाइकिल पानी में 2 दिन रखेंगे। ऐसे 2 टैंक बनाए गए हैं।
    4. एनारोबिक डाइजेशन यानी बायो मीथेनेशन प्रक्रिया शुरू होगी। स्लज को ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में 25 दिन तक अपघटन के लिए रखा जाएगा। इस प्रक्रिया के तहत बायो गैस का उत्पादन होगा। डाइजेस्टर टैंकों के ऊपरी हिस्सों में इसे इकठ्ठा किया जाएगा।
    5. गैस को पाइप लाइन के जरिए बड़े स्टोरेज गुब्बारों (बायोगैस बलून) में इकठ्ठा किया जाएगा। इसमें 55-60% मीथेन गैस रहेगी।
    6. बायोगैस बलून में इकठ्ठा गैस को शुद्धिकरण बी उन्नयन के लिए फ्लेयर, ब्लोअर, गैस कूलर मशीन प्लांट में भेजा जाएगा। वहां गैस शुद्धिकरण प्रक्रिया के बाद यह गैस बायो सीएनजी कहलाएगी। इसमें मीथेन गैस का प्रतिशत 90 से 96 प्रतिशत रहेगा। इस प्लांट से प्रतिदिन लगभग 17500 किलोग्राम बायो सीएनजी का उत्पादन किया जाएगा।
    7. एनारोबिक डाइजेशन में गैस अलग होने के बाद बचे स्लज को सॉलिड लिक्विड सेपरेशन के लिए मशीनों में भेजा जाएगा।
    8. सॉलिड लिक्विड सेपरेशन के बाद लिक्विड को फर्टिलाइजेशन और ईटीपी के लिए भेजा जाएगा, वहीं सॉलिड को बायो फर्टिलाइजर के लिए कम्पोस्टिंग में भेजा जाएगा। यहां बायो फर्टिलाइजर कंपोस्ट का निर्माण होगा।

    spot_img

    Latest articles

    narrativenarrative

    block of all narrative.

    quality Swiss sports.

    Related articles

    spot_img