कोरोना की करीब दो माह लंबी दूसरी लहर के बाद अब अस्पताल से लेकर ऑक्सीजन की मांग, रेमडेसिविर स्तर पर राहत मिलने लगी है। अस्पतालों में भर्ती के लिए जहां पहले लंबी वेटिंग थी, मंत्री से लेकर अधिकारियों तक के फोन पर भी बेड नहीं मिल रहे थे, वह सभी अब खाली हैं। रेमडेसिविर के एक भी इंजेक्शन की मांग नहीं है और ऑक्सीजन टैंकरों का परिवहन बंद हो गया है। मांग खत्म हो चुकी है।
जब कोरोना पीक पर था, तब 110 अस्पतालों के करीब साढ़े सात हजार बेड में सभी फुल थे। हालत यह थी कि सामान्य बेड पर भर्ती के लिए चार-पांच दिन की वेटिंग चल रही थी और मरीजों को टोकन देकर बाद में आने के लिए कहा जा रहा था। दो माह में मांग 135 टन कम हो गई और साथ ही दो महीने में 6600 बेड खाली हो गए हैं।