इंदौर स्लज को न सिर्फ ट्रीट करेगा, बल्कि उसे बायो फर्टिलाइजर में बदलकर उसे बेचकर पैसा भी कमाएगा। यह वेस्ट टू वेल्थ का सबसे उन्नत उदाहरण होगा। इस प्रोजेक्ट का 40 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है।
ड्रेनेज के पानी को ट्रीट करने के बाद पानी तो रीयूज हो जाता है, लेकिन स्लज बच जाता है। इसमें हानिकारक बैक्टीरिया होते हैं। उन्हें मारने के लिए सिर्फ दो ही तरीके हैं।
पहला तो उसे गर्म किया जाए ताकि सारे बैक्टीरिया नष्ट हो जाए या दूसरा तरीका है रेडियो एक्टिव तत्व कोबाल्ट-60। इससे स्लज के सारे बैक्टीरिया मर जाते हैं। कबीटखेड़ी में 20 करोड़ की लागत से तैयार हो रहा स्लज हाईजिनेशन प्लांट देश का पहला सबसे उन्नत प्लांट होगा। इसमें रेडियो एक्टिव कोबाल्ट-60 को सीमेंट के मोटे चैंबर में रखा जाएगा। इसके आसपास स्लज के ब्रिक्स लगातार घूमते रहेंगे।