आजकल लोगो के समक्ष हिंदी न पढ़ पाना और न लिख पाना अत्यन्त कूल समझा जाता है। कल ही एक दुकान पर जब दुकानदार ने दो “Dude” से दिखने वाले लड़कोऔर उनके साथ खड़ी “Glamorous” लड़कियों से कहा की वो कुछ हिंदी में लिखकर उसे देदे, तो वे मुंह बिचका के बोले – “Ewwwww” , हिंदी?!
वो मेरी तरफ मुड़े और मुझसे बोले – ‘आप लिख देंगे’?
मैंने उनसे पूछा की क्यों, आपने पढ़ाई नहीं की? तो वो बोले की है।
मुझे अचम्भा हुआ और मैंने पूछा की आप सब शक्ल से तो इंग्लैंड के निवासी भी नहीं लगते और मुझे नहीं लगता ऐसा एक भी स्कूल हिन्दुस्तान में है, जो हिंदी नहींपढ़ाता।
इसपर वो खिलखिलाकर हसने लग गए और आपस में ताली मारकर एक सेल्फी लेते हुए बोले -“Who writes Hindi Braah“?
समझने में शायद अटपटा लगे, पर ये काफी उन लोगो की हक़ीक़त है, जो हिंदी को ऐसी नज़रो से देखते है, जैसे वो एक पाप हो। इसमें गलती शायद बच्चो की काम,उनके पालको की ज्यादा है। माँ बाप अपने बच्चो को हिंदी से कोसो दूर कर रहे है क्योंकि पूरा माहौल ही ऐसा बना है, जो हिंदी का माख़ौल उड़ाने से नहीं चूकता। आज कलकई पेरेंट्स अपने बच्चों को बचपन से I-Pad देकर (बता दू, की जो पैरेंट अपने बच्चे को I-Pad नहीं देता, उसका समाज में अस्तित्व नहीं है। डेढ़ से दो साल का बच्चाI-pad लेके घूमे, ये शान की बात है) उनको ऐसे Apps दिखाते है, की वे बचपन से एक्सेंट मार के अंग्रेजी बोलने लग जाए। इंटरव्यू की तैयारी हो, या आम बोलचाल कीसवारी, अंग्रेजी की बिमारी ऐसी लगी है लोगो में, की बस यदि ५ अंग्रेजी झाड़ते लोगो के समक्ष एक हिंदी की दो लाइन बोल दे, तो उसे अज्ञान करार दे कर, उसे अंग्रेजीसीखने पर लंबा चौड़ा भाषण दे दिया जाता है।
निवेदन है, की भाषा में भी स्टेटस न खोजे। हिंदी बोलने से, लिखने से, आपकी औकात या इमेज पे आंच नहीं आती। ऐसे कई महान लेखक हुए है, जो अपनी हिंदी के कारण संसार भर में ख्यात हुए। अंग्रेजी ही एक ऐसा माध्यम नहीं है, जिसके कारण आपका बाज़ारी मूल्य निखरता है। आप सीना तान के हिंदी में बात करे। याद रखे, आपके हिंदी बोलने से, आप न तो कुछ गलत कर रहे है, न आप में हीन भावना उसको लेकर उभरनी चाहिए। अरे आपकी अपनी भाषा है, उसका सम्मान करे।