तो भिया क्या है की चिंटू पेलवान नाम लपक चलता है द्वारकापुरी से लेकर अपने विजयनगर तक। तो अपन ने सोचा की ये जो ठण्ड में जो दिन बिताते है, अपन इनकीछत्रछाया में रेते है एक दिन और देखते है की ये भिया करते क्या है? तो अपन ने काल किया इनको और फ़ोन पे आसिरवाद लेके पूछा की दादा आ जाए क्या अपन कलसूबे? तो इनने बोला की आ जाओ।
तो अपन तो ऐसे मचल रिये थे ही और अपन तो पहुच गए सूबे के ६ बजे इनके घर और चिंटू भिया तो ऐसे तैयार खड़े थे मफलर डाल के सामने। सबसे पेले तो अपन गएचौराहे की टापरी में और पेल दी दो चाये पोहे संग। फिर चिंटू भिया ने बोला की केवल पोहे में बात नी बनेगी और तू सुलगा जरा ये कचरा सड़क के किनारे पड़ा हुआ। बस,यहाँ अपन ने आग लगायी और वहाँ चिंटू भिया दो कचोरी लेके आ गए। फिर हाथ ताप के बाजू वाली दो लडकिया भी टाप दी चिंटू भिया ने और अपन ने तो खीसे निपोरदिए।
इसके बाद चिंटू भिया ने बोला की आओ सैर करके आये। माहौल कुछ और बनाना था चिंटू भिया को और उनने तो पाउच फाड़ के मुह में डाल लिया और अपन चल दिएउनके संग। इसके बाद उनने बोला की अपन को काम है तो तू अब एक काम कर की शाम को मिलले ७ बजे छप्पन पे।
अपन शाम को गए तो चिंटू भिया ऐसे भीड़ के बीचम बीच अलग ही माहौल में दिखे। वही अंदर रूपा का ऊन वाला पेन के शर्ट के दो बटन खुल्ले करके। उनने अपन कोदेख के कॉफ़ी बोल दी और उनके साथ खड़े रे के चुस्का ली अपन ने। वही छप्पन में सारी दुनिया का ज्ञान पेल दिया उनने अपन को।
फिर उनने बोला की खड़े खड़े दो तीन घंटे हो गए है तो चलो छावनी अपन केसरिया दूध पिके आते है। चिंटू भिया को न नी बोल सकते हो आप, तो अपन उनकी यामाहा केपीछे बैठ के चल दिए। अब चिंटू भिया ने वो माहौल सेट करके रखा है की उनकी यामाहा की आवाज सुनके वो दूकान वाले ने तीन गिल्लास पेले ही भर दिए। बस, फिरउनके साथ दूध पिया अपन ने और उनने अपन को १०० का नोट देके बोला की और कोई भी दिक्कत हो पैसे बदलने की तो काल कर देना।
चिंटू भिया के साथ ये दिन काफी सई रिया अपना। दिल के बड़े है चिंटू भिया और ऐसे लोग ही इंदौर को उसकी पहचान दिलाते है। तुम्हारे कालोनी में भी ऐसा कोई हो तोबताओ उसके बारे में कमेंट में या टैग करो उसको।
जय सेउ, जय इंदौर।