ऐतिहासिक गांधी हॉल अपने भव्य स्वरूप में फिर संवर गया है। इसके कायाकल्प में चार साल से ज्यादा लग गए। स्मार्ट सिटी के अंतर्गत यह प्रोजेक्ट 6.67 करोड़ का था, लेकिन कॉस्ट बढ़ते-बढ़ते 10 करोड़ रुपए तक पहुंच गई। अब इसे उद्घाटन का इंतजार है।
पहले यहां प्रदर्शनियां लगती थीं और जो चाहे वह पोस्टर और बैनर लगाने के लिए कीलें ठोक देता था। इसके कारण अंदर का स्ट्रक्चर भी कमजोर हो गया था। इसकी घड़ी सालों से बंद थी और घंटा बजने से होने वाले कंपन से घड़ी में भी दरार आ गई थी। छत भी लगातार खराब होती जा रही थी। दो दीवारों में दरार आने लगी थी।
गांधी हॉल के मुख्य भवन छह माह पहले ही तैयार हो गया था, लेकिन बाहर की लैंड स्कैपिंग बाकी थी। इसके अलावा पार्किंग, लाइब्रेरी, गेट लगाने, प्याऊ को शिफ्ट करने जैसे काम थे। यह काम भी स्मार्ट सिटी को सौंप दिए गए। अब लगभग सारे काम हो चुके हैं।